गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में दीक्षांत समारोह-130 छात्रों ने ली चरक शपथ

भोपाल
गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें 130 छात्रों को मेडिकल डिग्रियाँ प्रदान की गईं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.डी.पी.लोकेवानी, पूर्व कुलपति, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (MPMSU), और विशिष्ट अतिथि ध्रुव शुक्ल, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित कथा पुरस्कार विजेता, उपस्थित थे। दोनों ने छात्रों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।

समारोह की शुरुआत महाविद्यालय की डीन, डॉ.कविता एन.सिंह के प्रेरणादायक शब्दों से हुई, जिसमें उन्होंने छात्रों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा, "आपने कठिन परिश्रम से यह महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। यह केवल शुरुआत है। चिकित्सा के क्षेत्र में आपके योगदान का समाज को बेसब्री से इंतजार है। अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें।"

समारोह का एक विशेष आकर्षण चरक शपथ का आयोजन था। सभी नव नियुक्त चिकित्सकों ने चरक शपथ लेकर मरीजों के प्रति अपनी निष्ठा और सेवा भाव का संकल्प लिया। इस पवित्र शपथ के माध्यम से उन्होंने मरीजों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समर्पित होने का वचन दिया।

मुख्य अतिथि डॉ.डी.पी.लोकेवानी ने अपने प्रेरक भाषण में छात्रों को स्मरण दिलाया कि शिक्षा का यह चरण अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उन्होंने कहा, "यह आपके सीखने का अंत नहीं है। आज जो डॉक्टर पढ़ाई बंद कर देता है, वह कल अनपढ़ हो जाता है। विश्वविद्यालय से बाहर निकलने के बाद जब आप वास्तविक दुनिया में प्रवेश करेंगे, तो कई चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन आपको अपनी बुद्धि और विवेक से उनका समाधान करना होगा।"

डॉ.लोकेवानी ने आगे कहा, "हमारे जीवन में चार जीवित देवता होते हैं – माता, पिता, गुरु और राष्ट्र। इन सभी का आदर करें और हमेशा उनके प्रति नतमस्तक रहें। ये ही आपकी सफलता और प्रगति की नींव हैं।"उन्होंने छात्रों को जीवन में नम्रता और कृतज्ञता का महत्व समझाते हुए कहा, "आप चाहे जहाँ भी जाएँ, जो भी करें, अपने माता-पिता, शिक्षकों और इस संस्थान का हमेशा सम्मान करें। यह संस्थान आपकी 'मां' है, जिसने आपको न केवल शिक्षा दी, बल्कि अनुशासन और जीवन के मूल्य भी सिखाए। सफलता की ऊँचाइयों को छूने के बाद भी विनम्रता और सेवा भाव को कभी न छोड़ें।"

विशिष्ट अतिथि ध्रुव शुक्ल, जिन्हें कथा साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है, ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "गांधीजी की तरह सादा जीवन जिएं, प्रकृति के करीब रहें और सत्यनिष्ठ रहें। यही जीवनशैली आपको आंतरिक संतोष और सच्ची खुशी प्रदान करेगी।"

समारोह के अंत में सभी छात्रों को डिग्रियाँ प्रदान की गईं, और इस विशेष दिन की स्मृति के रूप में सामूहिक तस्वीरें खिंचवाई गईं। छात्रों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह दिन उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन है और वे इस अवसर के लिए अपने शिक्षकों और परिवार के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

 

India Edge News Desk

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